Zindagi

ऐ जिंदगी…. कुछ लफ़्ज तेरे लिए भी!
ऐ जिंदगी…
खुश हूॅं मैं …
तेरे ऑंगन में फिर से , खिल उठी हूॅं मैं …
साथ तेरे हर लम्हा , जी रही हूॅं मैं…
तेरी ही छाॅंव में , चलना सिखी थी मैं …
तेरे ही आसमान में आज , उड़ना सिख रही हूॅं मैं …
तेरी सिख ने ही , आगे बढ़ाया है मुझे…
तेरी ठोकर ने ही तो , इतना मज़बूत बनाया है मुझे…
तेरे सुझाॅंव से ही , इतनी निखर गई हूॅं मैं …
तेरे कोशिश से ही तो , इतनी सॅंवर गई हूॅं मैं…
तेरे सायें तले , हर सपने को छुॅंआ है मैंने …
तेरे ऑंचल तले , हर रिश्ता निभाया है मैंने …
तेरी उलझनों ने , कभी मुझे डगमगाया है …
तेरी उॅंगलियों ने लेकिन , सदा मुझे संभाला है…
तेरी शिकायतों ने ही , मुझे इतिहास दिखाया है …
तेरी गहराइयों ने ही , मुझे ऊॅंचाइयों तक पहुॅंचाया है…
तेरे सूरज की रोशनी ने , मेरे हौसलें को फिर बाॅंधा है …
तेरे आईनें की चमक ने , मेरी आरज़ू को फिर जगाया है …
ऐ जिंदगी….
अब थाम ले मेरा हाथ , और भी कस्स के …
बहती नदियों में या ऊॅंची पहाड़ियों पे …
की निकल पड़ी हूॅं मैं , एक नये सफर पे ………
~चिन्मई